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Yagyakarma

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Shodasha Samskara

🔱 सोलह संस्कार एवं उनका महत्त्व
(Sanatan Dharma ke 16 Sanskar – Vivaran sahit)


सनातन धर्म में मनुष्य के जीवन को शुद्ध, संयमित, और आध्यात्मिक बनाने हेतु 16 मुख्य संस्कार बताए गए हैं, जिन्हें "षोडश संस्कार" कहा जाता है। ये जन्म से लेकर मृत्यु तक के विभिन्न चरणों को पवित्र और अर्थपूर्ण बनाते हैं।


1. Garbhadhana Samskara:-

* 📌 कब करें: गर्भ धारण से पहले
* 📖 विवरण: पति-पत्नी द्वारा संतान उत्पत्ति के शुभ संकल्प के साथ किया जाता है।
* 🌟 महत्त्व: श्रेष्ठ और संस्कारी संतान की प्राप्ति के लिए।


2. पुंसवन संस्कार (Punsavan Sanskar):-

* 📌 कब करें: गर्भ के 2–3 महीने में
* 📖 विवरण: भ्रूण के विकास में बुद्धि, स्वास्थ्य और श्रेष्ठता हेतु किया जाता है।
* 🌟 महत्त्व: शारीरिक और मानसिक विकास के लिए।


3. सीमन्तोन्नयन (Simantonnayan Sanskar)

* 📌 कब करें: गर्भ के 6–7 महीने में
* 📖 विवरण: गर्भवती स्त्री के मानसिक और भावनात्मक सुख हेतु।
* 🌟 महत्त्व: माँ और शिशु दोनों की सुरक्षा और शांति के लिए।


4. जातकर्म संस्कार (Jatakarma Sanskar):-

* 📌 कब करें: बच्चे के जन्म के तुरंत बाद
* 📖 विवरण: जन्म के साथ शिशु को घृत-शहद का चखाना, और मंत्रोच्चार से स्वागत।
* 🌟 महत्त्व: शिशु के दीर्घायु और स्वास्थ्य की कामना।


5. नामकरण संस्कार (Namkaran Sanskar):-

* 📌 कब करें: जन्म के 11वें या 12वें दिन
* 📖 विवरण: शिशु को वैदिक परंपरा अनुसार शुभ नाम देना।
* 🌟 महत्त्व: नाम का व्यक्ति के जीवन और कर्म पर गहरा प्रभाव पड़ता है।


6. निष्क्रमण संस्कार (Nishkraman Sanskar):-

* 📌 कब करें: 4वें महीने के बाद
* 📖 विवरण: शिशु को पहली बार सूर्य और चंद्रमा की रोशनी दिखाना।
* 🌟 महत्त्व: प्रकृति से जुड़ाव और आरोग्यता की प्राप्ति।


7. अन्नप्राशन संस्कार (Annaprashan Sanskar):-

* 📌 कब करें: 6वें महीने में
* 📖 विवरण: बच्चे को पहली बार अन्न (खीर आदि) ग्रहण कराना।
* 🌟 महत्त्व: पाचन शक्ति और पोषण का शुभारंभ।


8. अन्नप्राशन संस्कार (Annaprashan Sanskar):-

* 📌 कब करें: 6वें महीने में
* 📖 विवरण: बच्चे को पहली बार अन्न (खीर आदि) ग्रहण कराना।
* 🌟 महत्त्व: पाचन शक्ति और पोषण का शुभारंभ।


9. कर्णवेध संस्कार (Karnavedha Sanskar)

* 📌 कब करें: 1 से 3 वर्ष की आयु में
* 📖 विवरण: कान छेदन (कान में छेद करना)
* 🌟 महत्त्व: आरोग्य, सौंदर्य और आध्यात्मिक जागरण के लिए।


10. उपनयन संस्कार (Upanayan Sanskar):-

* 📌 कब करें: 5–8 वर्ष की उम्र में (ब्राह्मण बालकों के लिए)
* 📖 विवरण: यज्ञोपवीत (जनेऊ) धारण करवाना और वेदाध्ययन का प्रारंभ।
* 🌟 महत्त्व: ब्रह्मचर्य जीवन की शुरुआत और शास्त्र अध्ययन का प्रवेशद्वार।


11. वेदारंभ संस्कार (Vedarambh Sanskar):-

* 📌 कब करें: उपनयन के तुरंत बाद
* 📖 विवरण: गुरु के सान्निध्य में वेद व विद्याओं का अध्ययन आरंभ करना।
* 🌟 महत्त्व: ज्ञान और शास्त्रों के प्रति श्रद्धा।


12. केशान्त/समावर्तन संस्कार:-

(Keshant/Samavartan Sanskar)
* 📌 कब करें: विद्या समाप्ति के समय (16–24 वर्ष)
* 📖 विवरण: गुरुकुल शिक्षा पूर्ण होने की घोषणा।
* 🌟 महत्त्व: गृहस्थ जीवन में प्रवेश की तैयारी।


13. विवाह संस्कार (Vivah Sanskar):-

* 📌 कब करें: योग्य आयु और सहमति से
* 📖 विवरण: दो आत्माओं और परिवारों का वैदिक बंधन।
* 🌟 महत्त्व: धर्म, प्रेम, और कर्तव्यों का पालन करने वाला संस्था रूप।


14. वानप्रस्थ संस्कार (Vanaprastha Sanskar):-

* 📌 कब करें: 50 वर्ष के बाद
* 📖 विवरण: सांसारिक कर्तव्यों से निवृत्त होकर तप-ध्यान व सेवा की ओर बढ़ना।
* 🌟 महत्त्व: मोक्षमार्ग की शुरुआत।


15. संन्यास संस्कार (Sannyasa Sanskar):-

* 📌 कब करें: वानप्रस्थ के बाद (इच्छा अनुसार)
* 📖 विवरण: त्याग, वैराग्य और पूर्ण ईश्वर समर्पण का जीवन।
* 🌟 महत्त्व: आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति।


16. अन्त्येष्टि संस्कार (Antyeshti Sanskar):-

* 📌 कब करें: मृत्यु के पश्चात
* 📖 विवरण: शरीर के अंतिम संस्कार और आत्मा की शांति हेतु क्रिया।
* 🌟 महत्त्व: आत्मा के अगले जन्म की शांति और सद्गति के लिए

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